एक समय था जब व्यापारी अपने बिजनेस को चलाने और अपने सामान को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए कुछ बिजनेस एजेंट, व्यवसायिक मेला या अन्य व्यापारियों से सहयोग लेते थे।
इस पूरे प्रोसेस में सामान को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने या सामान को अपने खरीददारो तक पहुंचाने में काफी समय लगता था, और ग्राहकों तक सामान पहुंचाना, व्यापारियों के लिए खुद एक चुनौती भरा काम था।
लेकिन आज ऐसा नही है। नए दौर में हमारे बिजनेस और उसके कार्य प्रणाली ने कई परिवर्तन के सफर तय किए।
आज के दिनो मे व्यापारी अपने व्यवसाय को चलाने के लिए Supply Chain Management (SCM) का सहारा लेते है। जिसके बारे में हम इस आर्टिकल में विस्तार से चर्चा करेंगें।
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सप्लाई चेन मैनेजमेंट क्या होता है (What is Supply Chain Management)
इसे आप एक प्रोडक्ट का लाइफ साइकिल यानी की जीवन चक्र कह सकते है, क्योंकि SCM का एक ऐसी प्रॉसेस से है, जिसमे किसी प्रोडक्ट के बनने से लेकर उसे यूज में लाने तक की सारी क्रियाएं शामिल होती है।
विकिपीडिया सप्लाई चेन मैनेजमेंट को इस प्रकार परिभाषित करता है:
सप्लाई चेन मैनेजमेंट (SCM) अंतरसम्बद्ध व्यापार के नेटवर्क का प्रबंधन है, जो कि ग्राहकों द्वारा अपेक्षित चरम उत्पाद व्यवस्था और सेवा संकुलों में शामिल होता है
आइए इसे थोड़ा और गहराई से समझते है:
दरअसल सप्लाई चेन मैनेजमेंट (SCM) एक बिजनेस प्रोसेस है जिसमे किसी प्रोडक्ट को बनाने से लेकर उसे कस्टमर तक पहुंचाने की कई क्रियाएं शामिल है। जैसे प्रोडक्ट बनाने के लिए raw material की खरीदारी, प्रोडेक्शन मैनेजमेंट, स्टोरेज और डिलीवरी etc.
इस प्रोसेस में हम कोशिश करते है की, कच्चे माल को किसी प्रोडक्ट में बदला जाए और अंत में उसे उसके कंज्यूमर तक पहुंचाया जाए। और इस तरह सप्लाई चेन मैनेजमेंट का ये साइकिल लगातार चलता रहता है।
सप्लाई चेन मैनेजमेंट के महत्व (Importance of Supply Chain Management)
सप्लाई चेन मैनेजमेंट का काम है हर प्रॉसेस को सूझ – बूझ से लेकर उसे कंप्लीट होने तक मैनेज करना। जिससे ज्यादातर समान को कम खर्च और अच्छे क्वालिटी में उत्पादित किया जा सके, और ये सामान कस्टमर तक भी आसानी से पहुंच सके।
इस प्रकार ये प्रोसेस समझदारी का काम करती है की किस तरह से सामान को बेहरत तरीके से produce करना चाहिए, ताकि ये दुनिया भर में अच्छी तरह से पहुंच सके और हर किसी को सही समय पर मिले। इन क्रियाओं में कई तरह के कार्य शमिल होते है जो समान को बनाने और पहुंचाने में मदद करते हैं।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});सप्लाई चेन मैनेजमेंट के लाभ (Advantage of supply chain management) :
1. low production costs (कम उत्पादन खर्चा) :
सही तरीके से SCM को इस्तेमाल कर के बिजनेसेस अपने प्रोडक्ट को produce करने के खर्चे को कम कर पाते है।
2. Excess Inventory Management (अतिरिक्त सूची प्रबंधन) :
जब किसी व्यापारी के पास ज्यादा सामान होता है जो बिक्री नही हो रहा है, तो उसे ऐक्सेस इन्वेंट्री कहते है। लेकिन SCM के जरिए व्यापारी वो इसे आसानी से कंट्रोल कर सकते है। यानी की वे सिर्फ इतना ही सामान बनाएंगे जितना ग्राहकों की मांग है। इससे व्यापारी को ज्यादा माल बनाने खर्चा नहीं करना पड़ता। क्युकी ज्यादा समान को बनाना, उन्हे स्टोर और मैनेज करना भी एक तरह का खर्चा ही हैं।
3. Reduced Failures (असफलताओं में कमी) :
व्यापारियों के काम में कभी कभी कुछ चीजे ठीक तरीके से नही होती, कभी किसी चीज में कमियां होती है तो कभी कुछ फेल हो जाता है। लेकिन अगर कोई बिजनेस में SCM का सही तारिके से इस्तेमाल करता है तो उसे उस फेलियर को कम करने में मदद मिलती है। क्युकी SCM ये बताता है कि कौन सा काम ठीक से नहीं हो रहा है और उनमें इंप्रूवमेंट करने की जरूरत हैं।
4. Improved Equipment Efficiency (बेहतर उपकरण दक्षता) :
SCM के मदद से बिजनेसेज अपने मशीन और टूल्स को बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकता है, जो की उनके व्यापार को सुधारने में काफी मदद करते हैं।
5. customer sensitivity (ग्राहक संवेदनशीलता) :
व्यापारी अपने बिजनेस में SCM का सही तरीके से इस्तेमाल कर के अपने कस्टमर की जरूरतों को आसानी से समझ पाते है। इससे व्यापारी को अपने कस्टमर्स की माग पूरा करने में दिक्कत नही होती, क्युकी scm की मदद से वो अपने कस्टमर के साथ सीधा संबंध बना लेते है।
आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के कारक (Factors of supply chain Management):
आपूर्ति श्रृंखला यानी सप्लाई चेन के कुछ फैक्टर्स है जो SCM में प्रमुख भूमिका निभाते है।
1. Production Planning (उत्पादन योजना): इस कारक में एक प्लान बनाया जाता है की कैसे, कहा और कितनी क्वांटिटी में समान बनाया जायेगा।
2. Logistics and Transportation (तार्किक और यातायात): ये फैक्टर सामानों को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाते हैं।
3. Quality Control (गुणवत्ता नियंत्रण): ये कारक प्रोडक्ट की खराबियों का पता लगाकर उन्हें ठीक करने का ध्यान रखते है।
4. Customer Service (ग्राहक सेवा): इस फैक्टर में कस्टमर्स से संपर्क करना और उनके एडवाइस और कंप्लेन का निवेदन करने का काम होता है।
5. Inventory Management (सूची प्रबंधन): ये फैक्टर समानों की स्थिति का अनुमान करके उनका निरीक्षण करने और उन्हें मैनेज करने के जिम्मेदार होते है। इसमें समान की खरीदारी से लेकर उसके स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन तक की क्रियाएं शामिल होती है।
6. Demand Forecasting (मांग की पेशाबंदी): ये फैक्टर प्रोडक्ट के मांग का अनुमान करने के लिए जिम्मेदार होते है। इसमें बिजनेस ट्रेंड्स, कस्टमर के issue, आदि का अध्ययन किया जाता है।
7. Risk Management (खतरो के नियंत्रण) : ये फैक्टर किसी संस्थान को संकट और खतरो का सामना करने में मदद करते हैं।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});SCM में सफलता की कहानी:
आज SCM एक अहम बिजनेस एलिमेंट बन गया है, जो व्यापारियो को उनके समान की सुरक्षा, सटीकता और कस्टमर तक पहुंचाने में मदद करता है। इसका एक जीता जागता एग्जामोल हम ‘Amazon’ से ले सकते है। Amazon ने अपने SCM के प्रॉसेस को इतना सुधार दिया है की वो आज पुरे दुनिया में एक पॉपुलर ई – कॉमर्स बन गया है।
उनका विस्तार, वितरण नेटवर्क इतना मजबूत और प्रभावशाली है की वो अपने समान को आम ग्राहक तक तेजी से पहुंचा लेते है। इसलिए सही तरीक़े से SCM का इस्तेमाल किसी बिजनेस को उसके सक्सेस की सीढ़ियां चढ़ा सकता है।
और जहा तक मुझे उम्मीद है की ये उदाहरण आपको समझने में मदद करेगा की किस तरह SCM व्यवसायिक दुनिया को सुधार सकता है। और व्यापारियों को उनके रीजनेबल अंडरस्टैंडिंग देने में मदद करता है। और ये आपके व्यापार को भी आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण कदम है।
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