कैसे बनते और खत्म होते हैं ब्रह्मण्ड में तारे? | How do stars form and die in universe in Hindi

 

मस्कार दोस्तों

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दोस्तों, हममें से शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा, जिसने बचपन के दिनों में गर्मियों की उमस भरी रातों को अपने घर की छत से लेटे-लेटे अनगिनत तारों वाले अथाह आसमान को न निहारा हो; उससे गिरकर टूटते हुए तारे से कोई wish न मांगी हो; तारों में किसी चीज़ का design न ढूंढा हो या फिर तारों के बारे में हैरान होकर खुद से ही कोई सवाल न पूछा हो।


सही मायनों में, हमारा बचपन इन चीजों के बगैर अधूरा नज़र आता है। दरअसल, आसमान हम इंसानों को हमेशा से ही Curious बनाने का काम करता रहा है। हमेशा हमारी Curiousity & imaginating power को बढ़ाता रहा है, जो कि हमें अपनी लाइफ में काफी काम आती है।


असल में अगर देखा जाए, तो हमारी इसी curiousity से करोड़ो सवाल बनते है, जिनमें से ज़्यादातर के जवाब हम ढूंढ भी नहीं पाते। हमारी जिज्ञासा के कारण, अक्सर हम सबके मन में एक सवाल उपजता है, जो है-


इन तारों को बनाता को है यार?



Generally इस तरह के सवालों के जवाब हमें बचपन में नहीं मिल पाते और अगर मिल भी जाते हैं तो हम उन्हें ठीक-से समझ नहीं पाते, क्योंकि ये बच्चों के लिए थोड़ा complex होता है।


खगोलशास्त्रियों के अनुसार , तारे बनते भी कई stages के बाद हैं और मरते भी. इसलिए इन्हें समझना काफी tough होता है।


इस आर्टिकल में हम इन्हीं चीजों के बारे में बात करेंगे, आसान भाषा में. ताकि विज्ञान की कम समझ रखने वाला व्यक्ति भी तारों को आसानी से समझ पाए। तो चलिए दोस्तों, ज़्यादा देर न करते हुए चलते हैं अपने मिशन पर, जिसका नाम हमने रखा है- “STAR-ROUND-UP”



[ POWER TIPPY : इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी को अच्छी तरह समझने के लिए इसे सिर्फ पढ़े ही नहीं बल्कि उन्हें अपने mind में imagine & observe भी करें. ऐसा करने से हमारा दिमाग चीजों को जल्दी से कैच कर लेता है.]





तो चलिए अब जानते हैं, तारों के जन्म से लेकर अंत तक के बारे में विस्तार से-


• तारे किस तरह जन्म लेते हैं और मरते हैं – How do stars bear & die in hindi  

 


1)• तारे क्या हैं और ये कितनी तरह के होते हैं ( Stars & their types):

 
आमतौर पर हम आसमान में चमकने वाली हर चीज़ को तारा मान लेते हैं, लेकिन अगर हम Science के नज़रिए से देखें तो आसमान में दिखने वाली हर एक चीज़ तारा नहीं होती।

 
• विज्ञान की भाषा में-


ब्रह्मांड में जो पिंड (things) बहुत बड़े होते हैं और खुद की लाइट से चमकते हैं, तारे कहलाते हैं.



अब हमें पृथ्वी से देखने पर space की हर चीज़ चमकती दिखाई देती है, चाहे वो कोई ग्रह हो, उपग्रह हो या फिर हो कोई उल्का पिंड (asteroid). हमारी पृथ्वी से तारों के अलावा भी कई अन्य आसमानी चीजें जैसे- ग्रह-उपग्रह इत्यादि चमकते हुए दिखाई देते हैं, क्योंकि वे तारों से आने वाली light को परावर्तित यानी reflect कर देती हैं। इसलिए As a Science Student,  हमें आसमान में चमकने वाली हर चीज़ को तारा नहीं समझना चाहिए।



★ आकार के हिसाब से तारे मुख्यतः 3 तरह के होते हैं (Types of Stars as per Size)-

 
(A) लाल तारे (Small Sized) –  ये तारे हमारे सूरज की अपेक्षा बहुत छोटे होते हैं और बेहद कम चमकीले होते हैं। ये खरबों
 सालों तक ज़िंदा रहते हैं।

 
(B). पीले तारे (Medium Sized)- ये तारे लगभग हमारे सूर्य के आकार के ही होते हैं। ये मध्यम स्तर पे चमकते हैं। इनकी
आयु कुछ अरब साल होती है।

 
(C). नीले तारे (Very Large Sized) – इन तारों का आकार बहुत बड़ा होता है और ये बेहद ज़्यादा चमकीले होते हैं। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि ये सिर्फ कुछ लाख वर्ष ही जीवित रह पाते हैं!

 
शायद यहां तक आप तारों के बारे में basic चीजें जान गए होंगे। इसलिए अब जानने का प्रयास करते हैं, कि तारों का जन्म आखिर होता कहाँ से और कैसे है?


• Read Rec : ब्रह्मांड की हैरान कर देने वाली 20 बातें.

 

2)• कैसे बनते हैं तारे (How do Stars form):

रात को आसमान में हमें तारों के बीच में बहुत ज़्यादा खाली जगह नज़र आती है, दरअसल ये जगहें खाली नहीं होती हैं बल्कि इनमें बहुत बड़ी मात्रा में H2, He तत्व तथा धूल के कण भरे होते हैं जिन्हें विज्ञान की भाषा में निहारिका (Nebula) कहते हैं। असल में, इसी नेबुला में तारे के निर्माण का सारा सामान पहले से ही मौजूद होता है।

 



डार्क नेब्युला खौलते हुए liquid के समान होता है जिसमें convection currents उठती रहती हैं। इसमें गैस व धूल के कण आपस में टकराते रहते हैं, जिससे छोटे-छोटे गोले बन जाते हैं। ये छोटे गोले आपस में टकराकर एक-दूसरे से चिपक जाते हैं और बड़े गोले बनाते हैं। इसके बाद बड़े गोले अपने गुरुत्व (Gravity) से दूसरे गोलों को अपनी तरह खींचते जाते हैं और अत्यधिक घने (dense) होते जाते हैं। काफी घने हो जाने पर ये गोले मिलकर एक अविकसित तारे का निर्माण करते हैं जिसे PROTOSTAR कहा जाता है।

 
अब  जैसे-जैसे प्रोटोस्टार घना होता जाता है वैसे-वैसे ही उसके अंदर Pressure & Temperature भी बढ़ता जाता है। और अंत में एक स्थिति ऐसी भी आती है कि जब बहुत ज़्यादा प्रेशर के कारण प्रोटोस्टार में उपस्थित हाइड्रोजन (H2)  के परमाणु आपस में मिलकर हीलियम (He) के परमाणु बनाने लगते हैं; जिसके फलस्वरूप बेहद बड़ी मात्रा में ऊर्जा (Energy) मुक्त होती है । इस ऊर्जा के कारण गोला चमकने लगता है और इस तरह प्रोटोस्टार अब एक जगमगाता हुआ सितारा बन जाता है।

 
• तारे की पूरी उम्र (अरबों साल) के लिहाज से, तारे के बनने की प्रक्रिया बहुत ही अल्प अवधि (कुछ हजार साल) की घटना है! 

 
अभी हमने जाना कि तारों का जन्म कैसे होता है? इसी तरह, अब हम जानने की कोशिश करते हैं कि तारे आखिर अपनी इतनी लंबी ज़िन्दगी काटते कैसे हैं-


3)• कैसे जलते और चमकते हैं तारे (How Stars burn & shine):

 
तारों में मौजूद हाइड्रोजन गैस लगातार हीलियम में परिवर्तित होती रहती है, जिसके कारण तारे में अंदर से बाहर की तरफ एक बल लगता है। अब चूंकि, तारे का वजन बहुत ज़्यादा होता है, इसलिए उसके गुरूत्वाकर्षण बल का मान भी बहुत ज़्यादा होता है, जोकि तारे पर बाहर से अंदर की तरफ लगता है। इस तरह इन दोनों बलों के कारण जलते समय तारा स्थिर अवस्था में रहता है। जिससे उसका आकार हमेशा लगभग एक जैसा ही बना रहता है। इस अवस्था को ‘तारे की साम्यवस्था (Equilibrium of Star)’ कहा जाता है।

 
साम्यवस्था में तारा अपनी पूरी power के साथ काम करता है और अपने चारों ओर के अंतरिक्ष में प्रकाश फैलाता रहता है। तारा अपने जीवन के ज़्यादातर समय में इसी अवस्था में रहता है। हमारा सूरज भी अभी इसी अवस्था में है।


💡तारों का टिमटिमाना (Flickering of Stars) –

 
रात में धरती से निहारने पर तारे टिम-टिम करते हुए दिखाई देते हैं, क्योंकि यहां वायुमण्डल उपस्थित होता है, जिसमे अलग-अलग level पर अलग अलग घनत्व (density) की हवा मौजूद होती है। तारों का प्रकाश जब इनमें से होकर गुजरता है तो हवा की density में  बार-बार उतार-चढ़ाव होने के कारण मुड़कर हमारी आंखों तक पहुंचता है. इस तरह हमें “Twinkle Twinkle Little Star” दिखाई देते हैं! 😁

 

ये तो था तारों के survival करने के बारे में. चलिए अब जानते हैं, कि आखिर तारों की मौत कैसे होती है-




4)• कैसे होता है तारों का खात्मा (Death of Stars in hindi) :

 

[A] लाल दानव अवस्था (Red Giant State):

जब तारे के केंद्र (core) में मौजूद सारा H2 खत्म हो जाता है तो फिर तारा सिकुड़ने लगता है यानी छोटा होने लगता है। तारे के सिकुड़ने से उसके अंदर का temperature धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। तापमान में हुई इसी वृद्धि के कारण, तारे में बची-कुची H2 जलने लगती है और तारा एक बार फिर से जगमगाने लगता है।



अब क्योंकि तारा जलता रहता है, इस कारण वह फैलना शुरू हो जाता है। तारे के बहुत ज़्यादा फैलने के कारण उसकी outer surface ठंडी होने लगती है। ठंडा होने के साथ ही साथ तारा अब जमने भी लगता है और इस तरह यह लाल रंग का एक बड़ा तारा बन जाता है, जिसे ‘लाल दानव तारा’ कहते हैं. यह नाम इसे इसके Size & color के आधार पर दिया गया है।


Red Giant Stage में जाने के कुछ समय बाद तक तारा लगातार फैलता और सिकुड़ता रहता है। तारे के लगातार फैलते-सिकुड़ते रहने की इस अवस्था को ‘पल्सर (Pulsar)’ कहा जाता है।


पल्सर अवस्था तक तो सभी तरह के तारे, चाहे वो हल्के हो या भारी, एक जैसा ही व्यवहार करते हैं, लेकिन इसके बाद अलग-अलग mass के तारे अलग-अलग व्यवहार दर्शाते हैं। यानी अलग-अलग द्रव्यमान(mass) वाले तारों की ending अलग-अलग तरह से होती है। विभिन्न तारों की मृत्यु को ठीक से समझने के लिए पहले हमें ‘Chandrashekhar Limit’ को समझना होगा। तो क्या है ये लिमिट, आइए जानते हैं-


⭐ चन्द्रशेखर सीमा (ChandraShekhar Limit) :

 

भारत के महान वैज्ञानिक सुब्रमण्यम चन्द्रशेखर ने 19… में बताया था कि जिन तारों का वजन हमारे सूरज के वजन से 1.44 गुना के बराबर या इससे कम होता है, वे तारे मरने के बाद ‘श्वेत वामन तारे (White Dwarf Stars)’ बन जाते हैं।


और जिन तारों का वजन हमारे सूरज के वजन के 1.44 गुने से अधिक होता है, वे अपनी जीवनयात्रा Neutron Star या फिर Black Hole के रूप में समाप्त करते हैं।




• चन्द्रशेखर सीमा को आप नीचे दिए गए सूत्र से भी आसानी से याद रख सकते हैं-


White Dwarf < 1.44 < Neutron Star/Black Hole


दोस्तों, जिस तरह माना जाता है कि इंसान मरने के बाद या तो भूत बनता है या फिर देवता।  ठीक इसी तरह तारों में भी होता है। कोई तारा मरने के बाद क्या बनेगा यह हमें चन्द्रशेखर लिमिट बताती है, लेकिन ये लिमिट हमें तारे की मौत से relevant सारी जानकारी नहीं देती। तो चलिए जानते हैं, की अलग-अलग mass के तारे किस तरह से मरते हैं…


[B] सूर्य के 1.44 गुने से कम द्रव्यमान वाले तारों की मौत:

इस तरह के तारे Pulsar State में बार-बार सिकुड़ने और फैलने के कारण अपनी outer layer अंतरिक्ष में ही छोड़ देते हैं। बाहरी परत को त्याग देने से अब इनमें सिर्फ एक घना केंद्र (Dense Core) ही शेष रह जाता है। सफेद रंग का यह क्रोड हज़ारों सालों तक अंतरिक्ष में बहुत ही धीरे-से चमकता रहता है, जिसे ‘श्वेत वामन तारा (White Dwarf Star)’ कहा जाता है। हज़ारों सालों तक मन्द-मन्द चमकते रहने के बाद यह तारा दूर अंतरिक्ष में कहीं खो जाता है। इस खोये हुए तारे को ‘लाल वामन तारा (Red Dwarf Star)’ नाम दिया जाता है। इस तरह के तारों को ढूंढ पाना काफी सिर खपाने वाला काम माना जाता है।


इस तरह एक कम द्रव्यमान वाले तारे के जीवन का अंत हो जाता है।



NOTE : White Dwarf Stars काफी घने होते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हमारे सूरज के बराबर size वाले एक सफेद बौने सितारे का mass हमारे सूरज के mass से 2 लाख गुना तक अधिक हो सकता है।


ये तो था कम/औसत द्रव्यमान वाले तारों की मौत का process. चलिए दोस्तों, अब जानते हैं कि बेहद ज़्यादा भारेी तारों की मृत्यु की बेहद interesting प्रक्रिया…


[C] सूरज से 1.44 गुने से ज़्यादा भारी तारों की मौत की प्रक्रिया:

भारी तारों की मृत्यु, हल्के तारों की मृत्यु से काफी हटके होती है। हल्के तारों के समान ये तारे White Dwarf stars में नहीं बदलते बल्कि इनमें 2 possibilities होती हैं। सुविधा के लिए, इन तारों को हम 2 वर्गों में बांट लेते हैं-।

[a] कम भारी तारे
[b] बहुत ज़्यादा भारी तारे


अब, एक-एक करके जानते हैं कि इन दोनों तरह के तारों की मौत किस तरह होती हैं-


[a] कम भारी तारे- 

कम भारी तारों में pulsar state के बाद एक बड़ा धमाका होता है जिसे विज्ञान की भाषा में ‘Supernova Explosion’ कहा जाता है। इस विस्फोट के बाद, तारे के अंदर मौजूद भारी तत्व (लोहा) अंतरिक्ष मे दूर-दूर तक फैल जाते हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी पर भारी तत्व भी किसी सुपरनोवा विस्फोट के परिणामस्वरूप ही आये हैं।


इस धमाके के बाद भी तारे में कुछ mass बचा रह जाता है जो अपनी ही gravity से इकठ्ठा होना शुरू हो जाता है और घना होता जाता है। बहुत घना हो जाने के बाद तारा और ज़्यादा घना नहीं हो सकता और इस अत्यधिक घने तारे को ही अब ‘न्यूट्रॉन तारा (Neutron Star)’ कहा जाता है।



• न्यूट्रॉन स्टार्स बेहद घने होते हैं, इतने ज्यादा घने कि पृथ्वी के बराबर वजन वाले एक न्यूट्रॉन तारे को आसानी से किसी चमच्च में रखा जा सकता है!


इस तरह कम भारी तारे अपनी जीवनयात्रा न्यूट्रॉन तारों में तब्दील होकर समाप्त करते हैं।


[b] बहुत ज़्यादा भारी तारे-

सूरज के मुकाबले 1.44 गुने से बहुत ज़्यादा वजन वाले सितारों में pulsar state के बाद एक बड़ा धमाका होता है, जिसे ‘Hypernova Explosion ‘ कहते हैं। हायपरनोवा विस्फोट, सुपरनोवा विस्फोट के मुकाबले कई गुना ज्यादा खतरनाक होता है। इससे तारे के चिथड़े अंतरिक्ष में दूर-दूर तक फैल जाते हैं।


Hypernova के बाद तारे में बचा हुए पदार्थ अपनी ही gravity से सिकुङना शुरू कर देता है और infinity यानी अनन्त समय तक सिकुड़ता जाता है। इसके फलस्वरूप ‘कृष्ण विवर’ यानी Black Holes का जन्म होता है, जो अपने आसपास के पदार्थों को खाकर खुद की ताकत को और ज़्यादा बढ़ते रहते हैं। कुछ Black Holes तो इतने अधिक घने होते हैं कि स्वयं में से प्रकाश को भी गुजरने नहीं देते हैं।



तो इस प्रकार, बहुत ज़्यादा भार वाले तारे भी अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेते हैं।


• तो दोस्तों, ये था सितारों की ज़िंदगी का चक्कर। हो सकता है कि आपको इतने lenghty article में कुछ परेशानी हो रही हो। इसलिए हम इस आर्टिकल की summury यहां पर दे रहें हैं- 



• STARS SUMMURY : 



सितारों का जन्म ब्रह्मांड में खाली पड़ी जगह में उपस्थित H2 एवं धूल-कणों  के आपस में टकराने से होता है। धूल के कण व हाइड्रोजन आपस में मिलके एक अविकसित सितारा बनाते हैं जिसे PROTOSTAR कहते हैं। प्रोटोस्टार बनने के बाद तारा विकसित होकर एक Star बन जाता है और करोड़ों सालों तक चमकता रहता है।



सालों तक चमकने के बाद, जब तारे में मौजूद सारी H2, He में बदल जाती है तो तारा चमकना कम कर देता है। इसके बाद वह फैलने लगता है और अपने आसपास के सभी पिंडों को निगल लेता है। इस अवस्था को RED GIANT STATE कहते हैं।


इसके बाद तारा लगातार सिकुड़ता-फैलता रहता है, जिसे PULSAR STATE कहते हैं।



अब पल्सर स्टेट के बाद ChandraShekhar Limit से कम mass वाले तारे पहले White Dwarf और फिर Red Dwarf में बदलकर ब्रह्मांड में हमेशा के लिए खो जाते हैं।


वहीं दूसरी तरफ ChandraShekhar Limit से थोड़ा अधिक mass वाले तारे Supernova के बाद Neutron Star में बदल जाते हैं। जबकि चन्द्रशेखर सीमा से बहुत अधिक mass वाले तारे Hypernova के बाद Black Hole बनकर अपना जीवन समाप्त करते हैं।



✉️ AUTHORS’ ANGLE : 



ब्रह्मांड की रहस्यमयी गुत्थियों को समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती। लेकिन उनके बारे में पढ़कर और उन्हें imagine करके कोई भी उनकी uniquness का मज़ा लूट सकता है। SochoKuchNaya अपनी ‘ब्रह्मांड’ श्रृंखला में आपके लिए यही करने को committed है बस आपका अच्छा response मिलता रहे!



आज की इस पोस्ट में बस इतना ही. उम्मीद करते हैं कि ये Article आपके लिए interesting रहा होगा. ☺️



📸 सितारों की ज़िंदगी को अच्छे से समझने के लिए आप नीचे दिया गया ये 2 मिनट केा वीडियो भी देख सकते हैं-

 

✍️ Last में एक request हैं कि अगर आपको इस article में कोई कमी लगी हो तो आप हमें बेझिझक नीचे comment box में बता सकते हैं.. Future में हम उसे article में submit कर देंगे!

• ThankYou Friends for reading this whole Article! ✌️


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💢 मैं फिर लौटूंगा; अपनी कुछ खट्टी-मीठी research के साथ. उनका update जल्दी पाने के लिए हमारा blog SochoKuchNaya subscribe  कीजिये.

• मिलते हैं अगले article में..✋

♣️  नवीन सिंह रांगड़

(Blogger @ SKN)

 

4 thoughts on “कैसे बनते और खत्म होते हैं ब्रह्मण्ड में तारे? | How do stars form and die in universe in Hindi”

  1. ऐसे पोस्ट की ही खोज रहती है मुझे आप और भी ऐसे जानकारी साझा करें 😃

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