भाषा और जगह चाहे कोई भी हो लेकिन जानकारी प्राप्त करने का Easy, Cheap और Instant माध्यम जो हर जगह उपलब्ध है , वो तो अखबार ही है।
कई लोगों की तो सुबह भी अखबार की Headlines से गुजरते हुए ही होती है; वहीं नियमित रूप से समाचार पत्र पढ़ने के कारण कुछ लोग तो इसे पढ़ने के इतने आदी हो चुके हैं कि यदि उन्हें किसी रोज़ अखबार ना मिले तो उन्हें दिन भर कुछ खाली-खाली सा महसूस होता है। Personally मैं खुद ऐसे लोगों की list में शामिल हूँ।
अगर हम थोड़ा deep में जाके सोचें तो “ऐसा कौन-सा कारण है जिससे अखबार आज करोड़ों शिक्षित लोगों की Daily Life का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। इसके ऐसे कौन-से features हैं जो इसे दुनिया का एक reliable & popular सूचना माध्यम बनाते हैं?
निसन्देह अखबार की विश्वशनीयता, क्षेत्रीयता, कम मूल्यता, उपलब्धता और सर्वदिशीय ज्ञानभंडार ही वो main factors हैं जो इसे worldwide लोकप्रिय बनाते हैं।
इंटरनेट के बहुत ज़्यादा विस्तृत और लोकप्रिय होने के बावजूद भी अधिकांश शिक्षित लोग समाचार पत्र पढ़ना पसन्द करते हैं। लेकिन घण्टों तक समाचार पत्र पढ़ने के बावजूद भी ऐसे कई लोग होते हैं जो इससे पर्याप्त स्थायी जानकारी नहीं ले पाते।
स्थायी जानकारी से हमारा मतलब उस नॉलेज से है जो आपको ज़िन्दगी या किसी परीक्षा में कहीं ना कहीं काम आ सकता है। अखबार में इस तरह की जानकारी पर्याप्त मात्रा में होती है लेकिन इसके बावजूद भी लोग उसे अपनाने में अधिक रुचि नहीं दिखाते।
परन्तु आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि यदि समाचार पत्रों का अध्ययन कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखकर किया जाए तो हमारे सामान्य ज्ञान में कई गुना आश्चर्यजनक वृद्धि हो जाने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है!
यहां तक कि सामान्य अध्ययन से सम्बंधित परीक्षाओं को भी नियमित समाचार पत्र का अध्ययन करके आसांनी से पास किया जा सकता है। ज्ञान के दृष्टिकोण से अखबार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इसलिए आज के इस Article में हम अखबार के महत्व, इतिहास, प्रकार, फायदों आदि के साथ ही जानेंगे समाचार पत्र से ज़्यादा और स्थायी जानकारी प्राप्त करने के कुछ Practical उपाय –
वही पढ़ें जो आप पढ़ना चाहते हैं..
अखबार की पूरी जानकारी / All about Newspaper Essay in Hindi
1)• इतिहास-ऐ-अखबार [ History of Newspaper ] :
आज के इस आधुनिक जीवन में रहते हुए यह मानना थोडा कठिन लगता है कि इस अखबार ने ही बीते वक़्त में सैकड़ों राष्ट्रों में क्रांति की चिंगारी जलाई है। इसकी इसी खूबी पे तो मंत्रमुग्ध होकर बीती सदी के मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने लिखा है-
खींचो ना कमानों को न तलवार उठाओ; जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार उठाओ।
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यानि जिस काम को तीर-कमान और तलवार जैसे हिंसात्मक हथियारों के बल पर नहीं किया जा सकता है उसी काम को अखबार सरीखे सुलझे हुए माध्यम के द्वारा बखूबी अंजाम दिया जा सकता है।
समाचार पत्रों के गौरवमयी इतिहास पे यदि थोड़ा गौर किया जाए तो दुनिया का पहला दैनिक समाचार पत्र रोम (इटली) में 59 ईस्वी पूर्व यानि करीब 2100 साल पहले जूलियस सीज़र द्वारा प्रकाशित किया गया था, जिसका नाम उन्होंने ऐक्टा डाईएर्णा (ACTA DIURNA) अर्थात दिन भर की घटनाएं रखा था। उस समय छपाई का कोई साधन न होने के कारण यह समाचार पत्र हाथ से लिखा जाता था।
लेकिन यदि प्रिंटिंग प्रेस से छपे पहले समाचार पत्र की बात की जाए
तो सन 1605 में प्रकाशित जर्मन अखबार RELATION का नाम सामने आता है, जिसका सम्पादन जोहान्स कार्लोस किया करते थे।
वहीं हिन्दुस्तान में पहला दैनिक अखबार अंग्रेज़ी शासन के समय सन 1780 में उस तत्कालीन वाइसरॉय जेम्स हिक्की (JAMES HICKEY) द्वारा कलकत्ता से निकाला गया था, जिसका नाम बंगाल गजट (BENGAL GAZETTE) था। यह पत्र अंग्रेज़ी भाषा में होने के कारण अधिकांश भारतीयों के लिए एक कागज के टुकड़े से अधिक कुछ भी नहीं था क्योंकि इसमें छपी अधिकतम खबरें अंग्रेजों के जुल्मों के स्थान पर उनकी उपलब्धियों बयां करती थीं। इसी दौर में शुरू हुए अन्य अंग्रेज़ी समाचार पत्र जैसे- HINDUSTAN TIMES, NATIONAL HERALD आदि भी अंग्रेजों के विरुद्ध लिखने का साहस नहीं कर पाते थे।
इसी बीच 30 मई 1826 को हमारी मातृभाषा हिंदी का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तंड’ प्रकाशित हुआ, जो देखते-ही-देखते भारतवर्ष के दबे कुचले लोगों की जुबान बन गया। इसी प्रकार हिंदी पत्रकारिता का दायरा और प्रभाव दोनों तेज़ी से बढ़ने लगे और क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में फैलने लगी।
देशी अखबारों के लगातार बढ़ते रुतबे के कारण उनकी आवाज़ को दबाने के लिए चालाक ब्रिटिशों ने 1878 में हमारी मातृभाषायी अखबारों पे वर्नाकुलर प्रेस एक्ट’ थोप दिया। लेकिन अब क्रांतिकारी भारतीय कहाँ रुकने वाले थे, उन्होंने भी अपनी जान पे खेलकर कई जुगाड़ लगाए और छुप-छुपकर पत्रों का सम्पादन जारी रखा। धीरे-धीरे पूरे हिंदुस्तान में इन समाचार पत्रों ने ऐसी जागरूकता फैलाई कि चालाक फिरंगियों को आने वाले कुछ ही सालों में अपने ही द्वारा लाये गए सूचना माध्यम से उत्पन्न क्रांति की आग के डर से खुद ही दुम दबाकर भागना पड़ा!
2)• अखबार की जरूरत या महत्व [ NEED OR IMPORTANCE OF NEWSPAPER] :
अखबार सिर्फ हमारी किसी एक ही जरूरत को पूरा नहीं करता है बल्कि इससे हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी के कई महत्वपूर्ण काम भी आसान हो जाते हैं।
दूर घटित हुई किसी घटना की जानकारी लेनी हो या फिर विज्ञान, कारोबार और राजनीति जैसे क्षेत्रों से लगातार अपडेट रहना हो, अखबार हमारी इन सभी जरूरतों को सीमित खर्च व कम समय में पूर्ण कर देता है।
कई मायनों में अखबार, ज्ञान की देवी किताबों से भी ज़्यादा फायदेमंद नज़र आता है। जहां एक ओर किताबें हमें प्रायः किसी एक विशेष क्षेत्र से सम्बंधित ज्ञान देती हैं, वहीं समाचार पत्र हमें हर दिशा में घटित हो रही चीजों से अवगत कराता है। इसके अलावा अख़बार में छपी चीजों से हम सीधे तौर पे जुड़े होते हैं, जबकि किताबों के साथ जुड़ाव हमें प्रायः कम ही देखने को मिलता है।
3)• समाचार पत्रों के प्रकार [ TYPES OF NEWSPAPER ] :
अखबारों का किसी एक आधार पर उचित प्रकार से वर्गीकरण करना कठिन है परंतु यदि उन्हें अलग-अलग आधारों पर बांटा जाए तो उन्हें समझना काफी सरल हो जाता है, जो कि कुछ इस प्रकार है-
[A]. लम्बाई या साइज़ के आधार पर-
• ब्रौडशीट (BROADSHEETS) – जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है।Broad मतलब चौड़ी और Sheets मतलब कागज़ के पृष्ठ; यानि कि वो अखबार जो कागज़ के लंबे-चौड़े पेजों पे छपता है ‘ब्रोडशीट’ कहलाता है। यह अखबार का वह रूप है जिसे हम रोज़ देखते और पढ़ते हैं। भारत में ज़्यादातर अखबार Broadsheet प्रकार के होते हैं, जैसे- अमर उजाला, हिंदुस्तान, हिंदुस्तान टाइम्स आदि.
• टैबलॉयड [TABLOID] – टैब्लॉयड अखबार का वह स्वरूप है जिसका आकार ब्रॉडशीट अखबार की तुलना में आधा यानि लगभग एक मैगज़ीन के बराबर होता है साथ ही इसमें दिनभर की खबरों को थोड़ा मसालेदार अंदाज़ में पेश किया जाता है। सामान्य अखबार से अधिक मूल्य का होने के कारण अखबार का यह टैब्लॉयड फॉर्मेट विकसित देशों में ज़्यादा प्रचलित है। उदाहरण- The Afternoon Despatch & Courier (Mumbai), The Guardian, The Sun (Britain) etc.
[B]. छपने की फ्रिकवैंसी के आधार पर-
• दैनिक (Daily)- जो दिन में एक बार छपते हैं- दैनिक हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा
• साप्ताहिक (Weekly) –जिस अखबार में पूरे हफ्तेभर की खबरें एक साथ छपती है- सम्भव सन्देश, सदभावना टाइम्स इत्यादि
• पाक्षिक (Fortnightly)- जिस अखबार में 15 दिन की खबरें एक साथ छपती है- North East Mail
★ कुछ प्रमुख समाचार पत्रों के नाम-
[A]. लोकप्रिय हिंदी समाचार पत्र-
- अमर उजाला
- नवभारत टाइम्स
- दैनिक हिंदुस्तान
- राष्ट्रीय सहारा
- दैनिक जागरण
- राजस्थान पत्रिका
[B]. भारत के लोकप्रिय अंग्रेज़ी समाचार पत्र-
- हिंदुस्तान टाइम्स (hindustan times)
- टाइम्स ऑफ इंडिया (Times of India)
- इंडियन एक्सप्रेस (Indian Express)
- द हिन्दू (The Hindu)
- नेशनल हेराल्ड (National Herald)
4)• अखबार पढ़ने के सही तरीके (Tips for getting more out of Newspaper):
[i] अपना उद्देश्य समझिए- अखबार से ज़्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम आपको यह निश्चित करना होगा कि आप उसे मुख्य रूप से किस उद्देश्य के लिए पढ़ रहें हैं! यदि आप उसे किसी परीक्षा की तैयारी के लिहाज से पढ़ रहे हैं, तब आपको उसे थोड़ा अलग ढंग से पढ़ना होगा और यदि आप उसे किसी खास भाषा में मजबूत पकड़ बंनाने के उद्देश्य से पढ़ रहे हैं तो तब आपको उसका अध्ययन ज़रा हटके करने की जरूरत होगी।
इसके अलावा यदि आप उसका अध्ययन सिर्फ समय गुजारने और अपडेट रहने के लिए कर रहे हैं तो तब आप उसका अध्ययन अपनी इच्छानुसार कर सकते हैं।
- पहली बार- उनमें छुपी जानकारी को ढूंढने के लिए
- दूसरी बार- उसमें प्रयुक्त भाषा के स्टाइल और लेखन शैली सीखने के लिए
- तीसरी बार- शब्दों व मुहावरों को खोजने की खातिर
आर्टीकल को बार-बार तब तक पढ़ें जब तक आपको वो बहुत आसान न लगने लगे। यह शुरुआत में यह काफी कठिन और उबाऊ हो सकता है, लेकिन कुछ समय बाद इसमें अपने आप ही मज़ा आने लगता है।
लेकिन जिस चीज़ को पढ़ने का अभी हमारा मन नहीं है, कुछ खास उपायों के द्वारा उसमें भी जिज्ञासा जगाकर पढ़ने का मूड बनाया जा सकता है। इस काम को करने में नीचे दिया गया यह आर्टिकल शायद आपकी कुछ मदद कर सकता है-
• Read Rec: कैसे जगाएं बात-बात पर सवाल करने की इच्छा
[vii] अतिरिक्त ज्ञान- क्या अखबार में सिर्फ और सिर्फ खबरें ही होती हैं? नहीं! अखबार में दिनभर की खबरों के साथ ही पर्याप्त मात्रा में विज्ञापन भी होते हैं, जिनसे भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
विज्ञापनों का उचित विश्लेषण करके हम यह जान सकते हैं कि कम्पनियां किस तरह हमसे पूरा सच छिपाती है। कोई कम्पनी क्या स्ट्रेटेजी अपनाकर अपना प्रोडक्ट बेचती है? विज्ञापन को किस तरह से डिजाइन किया जाता है कि ज़्यादातर लोग इसकी ओर आकर्षित होने से खुद को नहीं रोक पाते? यकीन मानिए, ये बाते भी हमें वास्तविक जीवन में अप्रत्यक्ष रूप से कहीं ना कहीं काम आती हैं।
इसके अलावा समाचार पत्र में कुछ विशेष स्थानों पे छपी प्रेरणादायक कहानियाँ और सफल लोगों के इंटरव्यू व संक्षित जीवनियाँ हमें अंदर से हौसला देकर मजबूत बनाने का काम करती है और कुछ हटकर करने की प्रेरणा देती है।
5)• ई-पेपर: अखबार का इंटरनेटिया रूप [ e-paper ]-
बदलते दौर के साथ अब अखबार का स्वरूप भी बदल रहा है। आज के इस इंटरनेट के जमाने में अखबार भी अब सॉफ्टकॉपी (SoftCopy) फॉर्मेट में छपने लगा है। यानि की आज अगर आप इंटरनेट से जुड़े है तो आसानी से और बिना कोई पैसा खर्च किये, किसी भी समय अखबार अपने कम्प्यूटर या मोबाइल फोन पर पढ सकते हैं।
▶️ इसके लिए बस आपको उस अखबार की वेबसाइट पर जाना होगा, जिसे आप पढ़ना चाहते हो। और वहां पर दिए गए ई-पेपर (e-paper) के ऑप्शन से अखबार (pdf) डाउनलोड करना होगा। इसके बाद आप किसी भी समय उसे खोलकर पढ़ सकते हैं।
ई-पेपर के बहुत ही आसानी से उपलब्ध होने के बावजूद आज भी बहुत सारे लोग हैं जो अखबार को उसके पेपर फॉर्मेट (Broadsheet & Tabloid) में ही पढ़ना पसन्द करते हैं। नए जमाने का ई-पेपर उन्हें अधिक नहीं भाता!
इसके अलावा, फ़ोन पर रोज़-रोज़ ई-पेपर पढ़ने से आंखों को भी काफी नुकसान पहुंचता है, जिसके कारण अखबार के इस स्वरूप का प्रचलन अभी फिलहाल इनके परम्परागत फॉर्मेट की तुलना में कम ही है।
6)• डेली न्यूज़पेपर रीडिंग के कुछ फायदे (Newspaper Reading Benefits):
अखबार पढ़ने के ज़्यादातर फायदे तो आप अब तक जान ही चुके होंगे, लेकिन इसके कुछ फायदे ऐसे भी हैं जिनसे शायद आप अभी तक वाकिफ ना हों-
• अखबार हमारी समझ का दायरा बढाता है और हमारा सर्वांगीण विकास करने में योगदान देता है।
• नियमित अखबार पढ़ने वाले लोगों की उस भाषा में पकड़ उन लोगों की तुलना में काफी अच्छी होती है जो नियमित उस भाषा का अखबार नहीं पढ़ते हैं।
• अखबार पढ़ने से जानकारी बढ़ती है और जानकारी बढ़ने से जागरूकता। इसीलिए तो नियमित अखबार पढ़ने वाले लोग ज़्यादा जानकार और जागरूक होते हैं।
अखबार पढ़ने के अपने करीब एक दशक के अनुभव में मैंने यह सीखा है कि अखबार हर किताब का एक परफेक्ट निचोड़ होती है, चाहे वह किताब विज्ञान की हो, कारोबार की हो या हो फिर राजनीति की!
अखबार में प्रत्येक क्षेत्र से सम्बंधित कोई ना कोई जानकारी जरूर रहती है, इसलिए यदि इसका अनुशासित होकर नियमित रूप से अध्धयन किया जाए, तो हमारे लिए कई बेसिक किताबों की ज़रूरत तो अपने आप ही समाप्त हो जाती है।
इससे हम केवल जानकारी ही नहीं प्राप्त करते हैं, बल्कि यह भी जान पाते हैं कि लेखक और पत्रकार अपनी बात को प्रभावशाली व रोचक बनाने के लिए किस तरह से लिखते हैं। किस तरह से वो शब्दों और मुहावरों का प्रयोग करते हैं? इत्यादि.
अखबार में हर उम्र, हर पेशे के व्यक्ति के लिए कुछ ना कुछ जरूर छुपा होता है। इसलिए अगर आप अखबार पढ़ने के शौकीन नहीं हैं तो हमारी सलाह तो यही है कि अगर हो सके तो इसे अपना शौक बना लीजिए, क्या पता कब इसकी जरूरत पड़ जाए!
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