गूगल सैंडबॉक्स इफेक्ट क्या है? कैसे? | GOOGLE SANDBOX EFFECT SEO IN HINDI

क्या आपको अपनी वेबसाइट लॉन्च किये हुए कुछ महीनों का समय हो गया है लेकिन फिर भी आपकी साइट गूगल में rank नहीं हो रही है और उसपे गूगल से बहुत ही कम ट्रैफिक आ रहा है?
 
TWO KIDS PLAYING IN A SANDBOX
सैंडबॉक्स एक ऐसा टब होता है जिसमें बच्चे मिट्टी से खेलते हैं.

 

 
अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो इस बात की काफी अधिक संभावना है कि आपको लग रहा हो कि यह आपकी किसी गलती के कारण हो रहा है जिसका आपको पता नहीं है। 
 
 
आपको लग सकता है कि आपकी वेबसाइट के SEO में कमी है! आपको लग सकता है कि आप उतना अच्छा नहीं लिख पा रहे हैं कि लोग आपके वेबसाइट पर ज्यादा देर time spend कर सकते हैं! या फिर आपको लग सकता है कि आपका टेक्निकल knowledge अच्छा नहीं है जिसकी वजह से आपकी वेबसाइट नहीं चल पा रही है!?
 
 
मैं पिछले 4 साल से ब्लॉगिंग कर रहा हूँ और मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि आप इस बारे में जो भी सोच रहे हैं वह सही नहीं है। 
 
 
अगर आपकी वेबसाइट नई है- और  नई से हमारा मतलब है कि उसे शुरू हुए 6 महीने या इससे कम समय हुआ है- और वह गूगल में आपकी लाख कोशिशों के बावजूद भी रैंक नहीं कर पा रही है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। गूगल ही उसे जानबूझकर लोगों को शो नहीं कर रहा है! यह बात आपको थोड़ी सी अटपटी लग सकती है लेकिन यह पूरी तरह सच है। 
 
 
गूगल शुरुआत के कुछ समय तक नई वेबसाइटों को अपने सर्च  में अच्छी position पर रैंक नहीं करता है इसे हम गूगल सैंडबॉक्स प्रभाव कहते हैं। तो चलिए जानते हैं कि यह Google Sandbox Effect है क्या और गूगल का इसके पीछे उद्देश्य क्या है?-
 


गूगल सैंडबॉक्स इफेक्ट के बारे में पूरी जानकारी | ALL YOU NEED TO KNOW ABOUT GOOGLE SANDBOX EFFECT FOR WEBSITES’ SEO IN HINDI

 
 
NOTE: Google Sandbox ‘Learn With Google’ ki trf se ek programme bhi hai… jiska is article mein discussed ‘Google Sandbox Effect’ se koi lena-dena nahin hai.
 


1). गूगल सैंडबॉक्स इफेक्ट क्या है? (WHAT IS GOOGLE SANDBOX EFFECT):

 
“नई वेबसाइट को शुरुआत में (करीब 6 महीने/1 साल तक) गूगल अपने सर्च  में ज्यादा शो नहीं करता है चाहे वह कितनी भी अच्छी क्यों ना हो, चाहे उसका SEO कितना भी शानदार क्यों ना हो। इसे ही GOOGLE SANDBOX EFFECT कहते हैं।”
 
 
अगर आप किसी वेबसाइट को manage करते हैं तो आपने जरूर नोटिस किया होगा कि जब वेबसाइट नई होती है तो उसे गूगल में रैंक करना बेहद टफ होता है। आप कितना भी अच्छा क्यों नहीं लिखते, कितना भी अच्छा On Page SEO क्यों नहीं करते और चाहे कितने भी quality sites से backlinks ना बना लें लेकिन फिर भी गूगल उसे रैंक करने में आनाकानी करता है।
 
 
ऐसा क्यों?
 
 
चलिए जानते हैं… 
 


2). गूगल सैंडबॉक्स के पीछे की वजह (WHY GOOGLE SANDBOX):

 
आपको पता है आज इंटरनेट पर कितनी साइटें हैं?
 
1 करोड़? 5 करोड़?
 
10 करोड़?
 
नहीं! बिल्कुल नहीं!
 
आज यानि 2021 में इंटरनेट पर वेबसाइटों की संख्या करीब 2 अरब है! अभी कुछ सालों पहले तक ही इन वेबसाइटों की संख्या करीब 2 अरब थी। लेकिन इंटरनेट के बढ़ते स्कोप ने वेबसाइटों की जरूरत को भी बढ़ा दिया है।
 
आज हर रोज लाखों की संख्या में नई साइटें INTERNET पे लॉन्च होती है और गूगल उन्हें अपने database में स्टोर करता है। 
 
 
गूगल हर साइट को अपने सर्च में टॉप पे रैंक नहीं कर सकता क्योंकि वहाँ पर limited spots उपलब्ध होते हैं। इसलिए वह उन्ही साइटों को टॉप पे दिखाता है जिन्हें उसने लंबे समय से जाना और परखा होता है दूसरे शब्दों में कहें तो जिनपे उन्हें भरोसा होता है। 
 
 
नई साइटें गूगल के लिए अजनबी होती हैं। उनपे उसे बहुत कम भरोसा होता है जिसके कारण वह उन्हें आसानी से अपने सर्च  में आसानी से ऊपर जगह नहीं देता है।
 
गूगल नई वेबसाइटों को Sandbox में डाल देता है और कई महीनों तक उनपे नजर रखता है। इस टाइम पीरीअड में वह देखता है कि साइट क्या-क्या activities कर रही है। वह यह भी जानने की कोशिश करता है कि क्या कोई साइट spam तो नहीं कर रही है।
 
 
आखिरकार कुछ समय बाद जब गूगल को आपकी साइट पर भरोसा हो जाता है तो वह धीरे-धीरे उसे सैंडबॉक्स से बाहर निकालने लगता है और इस तरह से वह साइट गूगल में दिखनी शुरू हो जाती है।
 
 
गूगल सैंडबॉक्स से हर नई साइट को गुजरना होता है। यह एक आवश्यक प्रक्रिया है और इससे कोई भी वेबसाइट बच नहीं सकती। 
 
 

3). साइट को गूगल सैंडबॉक्स से बाहर कैसे निकालें? (HOW TO TAKE YOUR SITE OFF SANDBOX):

 
गूगल सैंडबॉक्स में हर नई वेबसाइट को निश्चित रूप से रहना होता है। लेकिन कोई वेबसाइट इसमें कितने समय तक रहती है यह पूरी तरह से उस वेबसाइट पर ही निर्भर करता है।
 
कहने का मतलब यह है कि आप चाहें तो जल्दी ही अपनी वेबसाइट को इस चंगुल से बाहर निकाल सकते हैं…  ये कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से आप ऐसा कर सकते हैं… 
 
 
* अपनी साइट का On-page SEO  सही रखिए। यानि सही keywords जोड़िए और सही internal linking कीजिए। 
 
* इसके अलावा off-page seo भी बेहद जरूरी है। इसलिए बैकलिंक्स बनाएँ लेकिन कम समय में बहुत सारे backlinks का निर्माण ना करें क्योंकि इससे गूगल की नजर में आप spammer घोषित हो सकते हैं। 
 
* तीसरा पॉइंट कि अपने ऑडियंस के फायदे के बारे में ज्यादा सोचिए और अपने कम । क्योंकि अगर आपके ऑडियंस खुश होंगे तो आप खुश होंगे।
 
* अपने हर पोस्ट को सही जगह पर सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें। इससे भी गूगल सैंडबॉक्स से बाहर निकलने में काफी सहायता मिलती है। 
 
* अपनी वेबसाइट बनाने के कुछ समय बाद आपको उसे GOOGLE SEARCH CONSOLE और बिंग सर्च कॉनसोल जैसी जगहों पर सबमिट करना चाहिए। 
 
 
इन तरीकों का उपयोग करके आप गूगल सैंडबॉक्स से बाहर निकल सकते हैं। 
 
 

4). कैसे पता करें कि कोई साइट सैंडबॉक्स में है या नहीं? (FIND OUT IF YOUR SITE IS IN SANDBOX OR NOT):

 
पहले के तीन महीनों तक ये पूरी तरह से निश्चित है कि आपकी साइट गूगल सैंडबॉक्स में मौजूद रहेगी। लेकिन इसके बाद, अगर आप अपनी साइट पे लगातार बेहतर काम करते हैं, उसपे अच्छा कंटेन्ट डालते हैं और उसका proper एसईओ करते हैं, इस बात के chances हैं कि वह सैंडबॉक्स से बाहर आ जाए।
 
 
लेकिन यह सब एक दम से नहीं होगा। इसे होने में समय लगता है। हालांकि कुछ ऐसी बाते हैं जिन्हें  नोटिस करके आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपकी साइट अभी-भी सैंडबॉक्स में मौजूद है या नहीं-
 
 
* लॉन्च होने के कुछ महीनों बाद अगर आपकी साइट पर एकदम से गूगल से ऑर्गैनिक ट्रैफिक आने लगता है तो समझ लीजिए कि आपकी साइट google sandbox से बाहर आ चुकी है। 
 
* इसके अलावा अगर आपकी पोस्टें जल्दी से गूगल में index और rank होने लगती है तो समझ लीजिए कि आपकी साइट अब धीरे-धीरे गूगल sandbox से बाहर निकल रही है। 
 
 

5). गूगल सैंडबॉक्स के बारे में कुछ अन्य जरूरी बातें (GOOGLE SANDBOX FAQs):

 

* गूगल हनीमून पीरीअड (GOOGLE HONEYMOON PERIOD) क्या है?

कई SEO experts मानते हैं कि गूगल संडबॉक्स से बाहर आ जाने के बाद गूगल कुछ समय के लिए नई साइटों को honeymoon period में रखता है। दूसरे शब्दों में कहें तो वह उन्हें कुछ समय के के लिए अच्छी पोजीशन पर रैंक करता है और देखता है कि लोगों का उसके प्रति रीस्पान्स कैसा है।
इस तरह अगर उसए लगता है कि लोगों का साइट के प्रति response है तो वह  उस साइट को और ऊपर रैंक करता है वरना उसे  दोबारा downrank करना शुरू कर देता है। इसे ही Google Honeymoon Period कहा जाता है। 


* गूगल कंपनी SANDBOX EFFECT के बारे में क्या कहती है?

गूगल सैंडबॉक्स के बारे में इंटरनेट पर चर्चाएँ 2004 से हो रही है हालांकि गूगल ने कभी भी इस बात की पुष्टि नहीं की है कि उसके पास इस तरह का कोई algorithm मौजूद भी है।
 

* क्या गूगल की ही तरह अन्य सर्च इंजनों के पास भी सैंडबॉक्स जैसे algorithm मौजूद हैं?

जी हाँ, बिंग और याहू जैसे सर्च इंजनों के पास भी इस तरह के अपने-अपने alogs मौजूद हैं। हालांकि उनके algorithm गूगल जितने powerful नहीं है। 
 
 
ℹ️  AUTHORS’ ANGLE: 


गूगल सैंडबॉक्स एक ऐसी जगह है जहाँ हर वेबसाइट को जाना ही होता है। आप किसी भी तरह इससे बच नहीं सकते। हालांकि आप अपनी वेबसाइट को अच्छे से manage करके इस परीक्षा को पास करके जरूर आगे निकल सकते हैं और गूगल में अपनी पोजीशन सेट कर सकते हैं।

 

 

तो दोस्तों यही था “गूगल सैंडबॉक्स इफेक्ट/Google Sandbox In Hindi” पर हमारी आज की पोस्ट। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें comment के माध्यम से जरूर बताएं और आपका कोई सवाल हो तो उसे भी जरूर पूछें। हमसे facebook पर जुड़ें ताकि आपको नई post की update मिलती रहे। 

 

📚 READ MORE POSTS: 


• ब्लॉगिंग क्या है और इससे पैसे कैसे कमाते हैं?

   


6 thoughts on “गूगल सैंडबॉक्स इफेक्ट क्या है? कैसे? | GOOGLE SANDBOX EFFECT SEO IN HINDI”

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.