आजकल क्रिप्टोकरेंसी के बारे में हम सब जानते हैं मगर कम ही लोग इसके पीछे काम करने वाली Innovative Technology से वाकिफ हैं, जिसे ”ब्लॉकचेन (Blockchain)” के नाम से जाना जाता है।
ब्लॉकचेन इंटरनेट की मॉडर्न तकनीक है जिसकी मदद से हैकर्स के लिए डेटाबेस को hack कर पाना करीब-करीब असंभव हो जाएगा।
ब्लॉकचेन तकनीक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल फिलहाल CryptoCurrency और NFT के क्षेत्र में किया जा रहा है हालांकि अभी इसका इस्तेमाल कई अन्य बड़े क्षेत्र में होना बाकी है.
वही पढ़ें जो आप पढ़ना चाहते हैं..
1. ब्लॉकचेन तकनीक क्या है? (What is Blockchain Technology Meaning)
जिस तरह बिजनेस में लेन-देन (Transactions) का हिसाब रखने के लिए बहीखाता (Ledger) रखा जाता है उसी तरह इंटरनेट पर CryptoCurrency के लेन-देन का हिसाब Blockchain के द्वारा संभाला जाता है।
ब्लॉकचेन एक तरह का Distributed Digital Ledger होता है जिसमें किसी भी तरह के Data को स्टोर किया जा सकता है (जी हाँ, आपने सही सुना है, किसी भी तरह का डेटा).. फिलहाल इसका उपयोग Cryptocurrency, NFTs और DeFi Smart Contracts जैसी चीजों का डेटा स्टोर करने में किया जा रहा है।
अब आप सोच सकते हैं कि डेटा तो बहुत सारे तरीकों से स्टोर किया जा सकता है तो फिर blockchain की जरूरत क्यों पड़ी? अच्छा सवाल है।
दरअसल, पुराने यानि conventional तरीके से डेटा स्टोर करने और ब्लॉकचेन की मदद से ऐसा करने में एक छोटा-सा फर्क है और फरक ये है कि conventional तरीके में डेटा Centralised होता है यानि एक ही जगह स्टोर होता है जिसको database administration अपनी इच्छा के अनुसार आसानी से कभी-भी चेंज कर सकता है। जैसे कि आपके बैंक अकाउंट का डेटा, इसमें आपका bank आसानी से चेंज कर सकता है।
जबकि इसके विपरीत ब्लॉकचेन तकनीक में डेटा सिर्फ एक स्थान पर नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के पास (एक कॉपी के रूप में) मौजूद होता है जिसकी उसको जरूरत है। इसे Decentralised Database कहा जाता है। हर उस कंप्युटर को जिसमें डेटा की एक कॉपी मौजूद होती है, NODE कहा जाता है।
ब्लॉकचेन आपके डेटा को बेहद-बेहद सुरक्षित बनाता है ताकि उससे कोई अनावश्यक छेड़छाड़ ना कर पाए।
2. ब्लॉकचेन कैसे काम करता है? (How Does Blockchain Work in Hindi)
जिस तरह हिसाब रखने का बहीखाता (ledger) बहुत सारे पेजों से मिलकर बना होता है ठीक उसी तरह ब्लॉकचेन भी बहुत सारे अलग-अलग ”Data के Blocks” से मिलकर बना होता है।
इसे ब्लॉकचेन नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि डेटा के ब्लॉक्स जब आपस में मिलते हैं तो वे चेन का रूप बनाते हैं। ब्लॉकचेन तकनीक के आ जाने से, बीच की चीजें, जो आप डेटाबेस हैन्डल करती हैं (जैसे- बैंक), की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी।
ब्लॉकचेन तकनीक जिस तरह से काम करती है वह पुरानी तकनीक से काफी अलग है।
पुरानी तकनीक को देखे तो उसमें डेटा में कोई भी व्यक्ति, जिसे admin का अधिकार प्राप्त हो, डेटा में कुछ भी मनचाहा बदलाव कर सकता है। उदाहरण के लिए, आपका बैंक चाहे तो आपके अकाउंट का बैलन्स किसी भी समय ZERO दिखा सकता है, क्योंकि अपने डेटाबेस में चेंज करने का अधिकार उसे है।
वहीं दूसरी तरफ ब्लॉकचेन में अगर कोई नया ट्रैन्सैक्शन (यानि ब्लॉक) add करना है या कोई व्यक्ति उसमें बदलाव करना चाहता है तो ऐसा करने के लिए सबसे पहले उसे उस ब्लॉकचेन के सभी यूजर्स (जिन्हें NODES कहा जाता है) से permission लेनी होगी और अगर majority यानि 50% से ज्यादा नोड्स की permission मिल जाती है तो वह चेंज हो जाता है और यदि ऐसी स्थिति नहीं बनती है तो फिर वह change रिजेक्ट हो जाता है।
ब्लॉकचेन बहुत ज्यादा secure भी है क्योंकि इसमें transaction को प्रोसेस करने के लिए हर नोड को complex mathematical problems सॉल्व करने होते हैं।
3. ब्लॉकचेन के प्रकार (Types of Blockchain)
फिलहाल दो तरह के ब्लॉकचेन्स मौजूद हैं-
- पब्लिक ब्लॉकचेन्स (Public Blockchains)- ये ऐसे ब्लॉकचेन होते हैं जिनमें कोई भी व्यक्ति participate कर सकता है और डाटा को read, write या audit कर सकता है। ऐसे ब्लॉकचेन को कोई भी अथॉरिटी control नहीं करती है इसलिए इनमें हुए transactions को alter कर पाना संभव नहीं हो पाता है।
- प्राइवेट ब्लॉकचेन्स (Private Blockchains)- इन ब्लॉकचेन्स को किसी अथॉरिटी या ग्रुप द्वारा कंट्रोल किया जाता है और इनमें कुछ चुनिंदा लोग ही चेंज कर सकते हैं। साथ ही किये गए changes को दोबारा से ऑल्टर करने का विकल्प भी इसमें मौजूद होता है। इन्हें एक कंपनी के in-house डेटाबेस की तरह मान सकते हैं जिसे बस कुछ nodes को ऊपर डिस्ट्रिब्यूट कर दिया गया है।
4. ब्लॉकचेन के उपयोग (Uses of Blockchain)
ब्लॉकचेन को बहुत सारे अलग-अलग क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा रहा है जिनमें से कुछ प्रमुख हैं-
I. क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency)
ब्लॉकचेन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी (जैसे- Bitcoin) में किया जा रहा है। ब्लॉकचेन को crypto की backbone भी कहा जा रहा है।
जैसे-जैसे लोग cryptocurrencies को buy, exchange या फिर spend करते हैं वैसे-वैसे ब्लॉकचेन में blocks जुडते जाते हैं जिससे कि blockchain spread होती जाती है।
II. ऐसेट ट्रैन्स्फर (Asset Transfer)
आजकल डिजिटल ऐसेट्स (जैसे NFT) काफी ट्रेंड में हैं। इनको रिकार्ड और ट्रैन्स्फर करने का सारा काम भी Blockchain के जरिए किया जाता है।
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III. बैंकिंग (Banking)
क्रीपटों के अलावा बैंकिंग सिस्टम में भी ब्लॉकचेन तकनीक का यूज किया जा रहा है। आजकल official currencies (जैसे- Dollar, Rupees) के transactions में भी बैंक की जगह blockchain technology को प्राथमिकता दी जा रही है। क्योंकि एक तो यह ज्यादा फास्ट है और दूसरा बहुत ज्यादा सुरक्षित।
IV. स्मार्ट कान्ट्रैक्ट्स (Smart Contracts)
ब्लॉकचेन की मदद से ऐसे स्मार्ट कान्ट्रैक्ट्स को भी बनाया जा सकता है जो खुद से execute हो जाएँ। उदाहरण के लिए, जब माल पहुँच जाए तो ही payment रिलीज हो, ऐसे technically smart contracts भी ब्लॉकचेन की मदद से बनाए जा रहे हैं।
V. सप्लाई चेन मोनिट्रिंग (Supply Chain Monitoring)
जब बड़े स्तर पर माल की supply की जाती है तो यह पता कर पाना काफी मुश्किल होता है कि problem किस पॉइंट या किस vendor पर आ रही है। ब्लॉकचेन की मदद से source of problem trace कर पाना काफी आसान हो जाता है। IBM का FOOD TRUST एक ऐसा ही Monitoring system है जो फूड की सप्लाइ को harvesting से लेकर consumption तक पूरी तरह track करता है।
VI. वोटिंग
वोटिंग में ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करने पर भी बड़े स्तर पर काम चल रहा है और जल्द ही इसके बड़े पैमाने पर लागू हो जाने की उम्मीद है।
VII. डोमेन नेम्स (Domain Names)
डोमेन नेम्स सिस्टम को भी ब्लॉकचेन पर आधारित कर दिया गया है।
5. ब्लॉकचेन के फायदे (Advantages of Blockchain Technology)
ब्लॉकचेन तकनीक के conventional तकनीक के तुलना में काफी सारे फायदे हैं जिनमें से कुछ हैं-
I. ट्रैन्सैक्शन्स की HIGH ACCURACY- ब्लॉकचेन में transactional errors होने की काफी कम संभावना होती है।
II. INTERMEDIARIES की जरूरत नहीं- ब्लॉकचेन मध्यस्थों (e.g. Bank) की जरूरत को खत्म करता है और काम को जल्दी और बिना झंझट के करता है।
III. EXTRA SECURITY- ब्लॉकचेन बहुत ज्यादा secure है क्योंकि यह cryptography पर based है।
IV. सबसे ज्यादा EFFICIENT- ब्लॉकचेन 24 घंटे और सातों दिन operational है इसलिए यह बहुत efficient है।
6. ब्लॉकचेन के नुकसान (Disadvantages/Drawbacks of Blockchain Technology)
I. स्पीड कम होना-
बिटकॉइन केवल 4.6 ट्रैन्सैक्शन्स प्रति सेकंड प्रोसेस कर सकता है जबकि VISA 1700 ट्रैन्सैक्शन प्रति सेकंड। इसलिए यह स्लो है।
II. बहुत ज्यादा ऊर्जा की खपत- ब्लॉकचेन तकनीक बहुत अधिक energy कन्सूम करती है जिसकी वजह से indirectly पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड रहा है। टेसला के महान इंटरप्रिंयोर एलोन मस्क भी इसको लेकर काफी चिंतित हैं।
7. ब्लॉकचेन का इतिहास (History of Blockchain)
विकिपिडिया के अनुसार, साल 1982 में पहली बार David Chaum नाम के एक क्रीपटोंग्राफर ने पहली बार ब्लॉकचेन तरह का एक प्रोटोकॉल पारित किया था। इसके बाद 1991 में Stuart Haber और W. Scott ने इस काम को आगे बढ़ाया।

पहला वर्किंग Decentralised Blockchain साल 2008 में आया जिसे कि Satoshi Nakamoto नाम के व्यक्ति (या फिर ग्रुप) ने तैयार किया। इसके बाद ब्लॉकचेन तकनीक ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज भी आगे ही बढ़ती जा रही है।
8. भारत में ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology in UPSC India)
भारत का पहला ब्लॉकचेन जिला (India’s first Blockchain District)-
तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद में भारत का सबसे पहला ब्लॉकचेन तकनीक आधारित जिला लॉन्च किया है जिससे कि देश में इस आधुनिक तकनीक को बढ़ावा मिलेगा। Tech Mahindra और Nuleaus Vision जैसी कम्पनीस को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
DRISHTI IAS के इस विडिओ में ब्लॉकचेन तकनीक को अच्छे से समझाया गया है-
apka kahani bohot accha hai
आपका टिप्पणी लेखन स्टाइल भी काफी उम्दा है।
मेने भी मेरी वेबसाइट पर “ब्लॉकचैन तकनीक क्या है” एक 2500 तक शब्दों का पोस्ट लिखा , वो कैसे लिखा है आप बता सकतें है
कृष्णा, आपने बेहद रुचिपूर्ण तरीके से ब्लॉकचैन के बारे में जानकारी दी है। लगे रहिए।