भारत में 5G- क्या, कब | in Hindi India

G for GENERATION. जी (G) शब्द सेलुलर डिवाइसेस की जनरेशन को दर्शाता है. फाइवजी (5 G) यानि पाँचवी जनरेशन।

मार्टिन कूपर, जो 1970 के दशक में Motorola में काम करते थे, ने दुनिया का पहला वायरलेस Cellular Phone बनाया और इसी के साथ शुरुआत हुई सेलुलर डिवाइसेस के 1G नेटवर्क की। वनजी में सिर्फ फोनकॉल करने की सुविधा थी..

1990 के दशक में GPS और GPRS टेक्नॉलजी की मदद से फोन में इंटरनेट आया और 2G की शुरुआत हुई..

2003 में दुनिया ने पहली बार 3G देखा और High Speed Data के साथ इंटरनेट बूम हुआ..

दिसंबर 2009 में फ़ाइबर आप्टिक्स टेक्नॉलजी के साथ 4G की शुरुआत हुई, जिसने इंटरनेट को एक प्रोफेशनल प्लेटफॉर्म के तौर पर विकसित किया..

2019 में 5G भी लॉन्च हो चुका है हालांकि इंडिया में इसको लेकर अभी तैयारियां ही चल रही हैं।


1. 5जी नेटवर्क क्या है? (What is 5G)

5G नेटवर्क सेल्यलर नेटवर्क की पाँचवी पीढ़ी (fifth generation) है जो OFDM (Orthogonal frequency-division multiplexing) तकनीक पर काम करती है।

 

यह वही तकनीक है जिस पर 4G आधारित है। 5G, 4G तकनीक का ही एक बेहतर और improved रूप है और यह फ़ाइबर आप्टिक्स के माध्यम से काम करेगा जैसे 4G करता है।

माना जा रहा है कि 2025 तक दुनिया में करीब 1.7 अरब लोग 5G नेटवर्क से जुड़े होंगे।

2. 5जी की परफॉरमेंस (5G PERFORMANCE)

नेटवर्क स्पीड (NETWORK SPEED)-

5G की डाउनलोडिंग स्पीड 20GbPS और अपलोडिंग स्पीड 10 GbPS रिपोर्ट की जा रही है जो कि 4G की तुलना में 10 गुना ज्यादा है। 5G की बैन्ड्विड्थ भी 4G की तुलना में काफी ज्यादा है।

नेटवर्क लेटेन्सी (NETWORK LATENCY)-

इसके अलावा 5G से latency भी खत्म हो जाएगी। लेटेंसी यानि leg होना। मसलन, जब भी हम क्लिक करते हैं तो जो loading होने में टाइम लगता है वह 5G के साथ अब नहीं होगा।

नेटवर्क रेंज (NETWORK RANGE)-

two 5G network towers standing in the ground between foggy rainy weather

4G के नेटवर्क हर जगह आते हैं। इसका कारण है 4जी की शानदार रेंज। 4जी का एक टावर 15किमी के एरिया में नेटवर्क फैलाता है हालांकि 5जी का टावर सिर्फ 500 मीटर में। कम रेंज की वजह से आपको 5जी के टावरों की संख्या काफी दिखाई देगी।

 

 

3. सेल्यलर नेटवर्क का इतिहास (History of Cellular Networks)

सेल्यलर नेटवर्क या कहें मोबाईल नेटवर्क की पाचवी जनरेशन में हम पहुँच चुके हैं, पिछली 4 जनरेशन ने हमें क्या दिया है, चलिए जानते हैं-

वनजी (1G)-

1970 के दशक में पहला फोन आया, इसी के साथ शुरुआत हुई सेल्यलर नेटवर्क की। पहली पीढ़ी के cellphones में हमारे पास बस कॉल करने का विकल्प ही मौजूद था। 1जी में PSTN यानि टेलीफोन लाइंस (जो जमीन के नीचे बिछी होती थी) कम्यूनिकेशन का माध्यम था। इसकी फ्रीक्वन्सी 30KHZ और BANDWIDTH 2 Kbps थी जो बहुत कम थी।

टूजी (2G)-

1990 के दशक में आए इंटरनेट बूम में सेल्यलर नेटवर्क का दूसरा जनरेशन आया जिसने लोगों के सेल्फोन्स को इंटरनेट से जोड़ा। GSM और GPRS तकनीक पर आधारित थी। इसकी फ्रीक्वन्सी 1.8 GHz और BANDWIDTH 14-64 Kbps थी। और यह भी PSTN से जुड़ा था। इसका नेटवर्क साइन E है।

थ्रीजी (3G)-

2003 में तीसरा जनरेशन आया जिसने लोगों को शानदार नेटवर्क स्पीड और विडिओ कॉल जैसी सुविधाएँ दी। इसकी फ्रीक्वन्सी 1.6- 2.0 GHz और BANDWIDTH 2 Mbps थी। और यह PSTN से नहीं बल्कि पैकेट नेटवर्क से जुड़ा था। इसका नेटवर्क साइन H, 3G या H+ है।

फोरजी (4G)-

दुनिया ने 2009 में पहली बार 4G देखा। हालांकि भारत में यह 2016 में देखने को मिला। इसमें फ़ाइबर आप्टिक्स हार्डवेयर का उपयोग किया गया जिससे स्पीड में बहुत ज्यादा सुधार आया। इसकी फ्रीक्वन्सी 2- 8 GHz और BANDWIDTH 2000 Mbps से 1Gbps के बीच थी। और यह इंटरनेट के माध्यम से जुड़ा है और इसका नेटवर्क साइन 4G, LTE या W है।




4. 5G किस तकनीक पर आधारित है (5G Techniques)-

5G मोबाइल नेटवर्क पांच तकनीक पर आधारित है-

⦁ मिलीमीटर वेब: मिलीलीटर वेब अधिक मात्रा में डाटा को एक्वायर करने की क्षमता रखता है, जिसके पास 1GB प्रति सेकंड स्पीड पर काम करने की क्षमता है। इस तकनीक का इस्तेमाल अभी के समय में अमेरिका के कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर कर रहे हैं आने वाले समय में इसका इस्तेमाल होते अन्य देश में भी देखने को मिलेगा।

⦁ स्पीड सेल्स: स्पीड सेल्स 5G नेटवर्क टेक्नोलॉजी की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण तकनीक है, क्योंकि मिलीमीटर वेब के साथ स्पीड को लेकर थोड़ी सी समझौता करनी पड़ती है और मिली मीटर वेब समस्याओं को खत्म नहीं कर पाता। हालांकि इसकी भरपाई स्पीड सेल्स के जरिए हो जाती है इसलिए मेन पावर सेल से सिग्नल मिलने के लिए पूरे क्षेत्र में अधिक मात्रा में मिनी सेल टावर का उपयोग किया जाता है। छोटे सेल को पुराने टावर के मुकाबले में कम दूरी में रखा जाता है जिससे कि नेटवर्क उपयोगकर्ताओं को बिना समस्या के सिग्नल मिलता रहे।

⦁ मैक्सिमम मीमो: 5G मोबाइल नेटवर्क की तीसरी मुख्य तकनीक मैक्सिमम मीमो है जिसे मल्टीपल इनपुट आउटपुट के नाम से भी जाना जाता है। इस तकनीक के जरिए अधिक मात्रा में ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए बड़े सेल का इस्तेमाल किया जाता है। रेगुलर सेंटर में 4G नेट होता है जिसमें 12 एंटीना को एक साथ कनेक्ट किया जाता है जो कि क्षेत्र में सेल्युलर ट्रैफिक को मैनेज करता है। हालांकि आज के समय में 100 एंटीना को भी कनेक्ट किया जा सकता है इससे 5G नेटवर्क पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

⦁ बीमफॉर्मिंग: बीमफॉर्मिंग एक तरह की तकनीक है, जो लगातार फ्रीक्वेंसी के कई सारे सोर्सेस को हैंडल करने में सक्षम है, इसमें अगर कोई सिग्नल ब्लॉक हो जाता है तो तुरंत ही दूसरा सिग्नल हाई स्पीड रेंज सिग्नल में स्विच कर जाता है। इस तकनीक के जरिए इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि डाटा सही दिशा पर भेजा जाए।

⦁ फुल डुप्लेक्स: फुल डुप्लेक्स एक ऐसी तकनीक है, जिसके जरिए बहुत सारे डेटा को ट्रांसमिट और रिसीव करना आसान हो जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल लैंडलाइन टेलीफोन और शार्टवेव रेडियो की तरह किया जाता है। इसमें दोनों तरफ समान ट्राफिक भेजा जाता है।

 

5. 5G तकनीक किन देशों में मौजूद है (5G countries)

वर्तमान समय में 5G तकनीक चाइना के 356 शहर, यूनाइटेड स्टेट के 296 शहर, फ़िलीपीन्स के 98 शहर, साउथ कोरिया के 85 शहर, कनाडा के 84 शहर, स्पेन के 71 शहर, इटली के 65 शहर, जर्मनी के 58 शहर, यूनाइटेड किंगडम के 54 शहर और सऊदी अरेबिया के 48 शहरों में 5G मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध है।

6. 5G तकनीक लॉन्च तिथि (5G Launch date in India)

भारत में 5G नेटवर्क का परीक्षण अपने अंतिम चरण में हैं, और इसको लेकर नीलामी भी अगले महीने july 2022 में शुरू होने वाली है। कहा जा रहा है कि MARCH 2023 तक मेट्रो शहरों में 5G पुरी तरह से लॉन्च हो जाएगा।



7. भारत में 5G तकनीक से जुड़ी कंपनीयां (5G Telecom Companies in India)

भारत में 5G तकनीक से जुड़ी पांच कंपनियों का नाम सामने आया है, सबसे पहले नंबर पर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का नाम है उसके बाद दूसरे नंबर पर वोडाफोन आइडिया का नाम आया है तो वही तीसरे नंबर पर महिंद्रा टेक चौथे नंबर पर तेजस नेटवर्क और पांचवें नंबर पर भारतीय एयरटेल का नाम है।

8. 5G नेटवर्क के फायदे (Advantages of 5G)

⦁ 5G नेटवर्क में हाई रेजोल्यूशन और लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग हो पाएगी।
⦁ 5G नेटवर्क बहुत ही ज्यादा एफिशिएंट और इफेक्टिव होगा।
⦁ डाउनलोडिंग टाइम और अपलोडिंग स्पीड में बढ़ोतरी आएगी।
⦁ इस टेक्नोलॉजी के जरिए सब्सक्राइबर को सुपर विज़न टूल दिया जाएगा जिसके जरिए वो क्विक एक्शन ले सके।
⦁ 5जी से कई मिशन क्रिटिकल काम आसान हो जाएंगे। जैसे- Remote Surgery,
9. 5G नेटवर्क के नुकसान (Disadvantages of 5G)
⦁ 5G की टेक्नोलॉजी फिलहाल अंडर प्रोसेस है और रिसर्च जारी है।
⦁ 5G नेटवर्क टेक्नोलॉजी के इंफ्रास्ट्रक्चर को डिवेलप करने की कीमत ज्यादा है।
⦁ इस नेटवर्क में प्राइवेट सिक्योरिटी को लेकर भी दिक्कतें बनी हुई है।
⦁ 5G नेटवर्क को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
⦁ 5जी की रेंज सिर्फ 500 मीटर है जो 4जी से 30 गुना कम है। जिसकी वजह से इसके टावर ज्यादा लगाने होंगे।

 

10. भारत में 5G स्पेक्ट्रम नीलामी (5G SPECTRUM AUCTION BIDDING INDIA)-

भारत में जुलाई 2022 में 1 लाख करोड़ के 72 GHZ के 5G spectrum की नीलामी की घोषणा टेलीकॉम मिनिस्टर (telecom minster) श्री अश्विनी वैष्णव ने की है। यह नीलामी अगले 20 सालों के लिए की जाएगी। इसमें 600, 700, 800, 900, 1,800, 2,100 और 2,300 मेगाहर्ट्ज बैंड का लो रेंज का स्पेक्ट्रम, 3300 मेगाहर्ट्ज बैंड का मध्यम रेंज का स्पेक्ट्रम और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड का हाई रेंज वाला स्पेक्ट्रम शामिल है।

इस नीलामी में मुख्य रूप से जिओ और भारती एयरटेल भाग लेंगे। हालांकि टेक महिंद्रा और VI भी प्रतिभाग करेंगे। नीलामी के बाद मार्च 2023 तक 5जी के लॉन्च होने की पूरी-पूरी संभावना है।


11. 5जी हार्डवेयर और फोन (5G Hardware Devices)

5जी के लिए एडवांस्ड हार्डवेयर की भी जरूरत पड़ेगी। हालांकि 5जी नेटवर्क की शानदार स्पीड के कारण क्लाउड कम्प्यूटिंग के फील्ड में काफी सुधार देखने को मिलेगा और लोग low perfomance hardware के द्वारा भी high quality softwares इस्तेमाल कर पाएंगे।

 

5जी नेटवर्क अभी इंडिया में लॉन्च नहीं हुआ है मगर 5G फोन भारत में काफी पहले आ चुके हैं..

 

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5जी पर निबंध (5G ESSAY IN HINDI)

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